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हड्डियाँ कमजोर होने की प्रक्रिया 50 वर्ष की उम्र पार करने के बाद शुरू होती है। कमजोर हड्डियाँ जरा-सा भी जोर देने पर टूट जाती हैं या चटक जाती हैं, इस रोग को ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं।
हड्डियाँ टूटने की बात का पता व्यक्ति को तब चलता है, जब ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी का हमला हो चुका होता है। इस बीमारी में जरा सा जोर देने, झटका देने या शक्ति का कोई भी काम करने पर संपर्क में आई हड्डी टूट जाती है।
कारण और उपाय- हड्डियाँ शरीर का ऐसा भाग है, जिसकी देखभाल बहुत कम लोग करते हैं। इनकी भी वैसी ही देखभाल होनी चाहिए, जैसी कि शरीर के अन्य भाग की होती है।
हमारी हड्डियाँ नियमित रूप से ऊतक बनाती रहती हैं, साथ ही पुराने ऊतक खत्म होते जाते हैं।यदि नए ऊतक बनने की रफ्तार कम हो जाए तो हड्डियाँ टूटने की आशंका बढ़ने रहती है।
उम्र बढ़ने व उचित खान-पान व सही दिनचर्या न होने की वजह से भी नए ऊतक बनने की रफ्तार कम होती जाती है और आप ऑस्टियोपोरोसिस के चँगुल में फँस जाते हैं।
हारमोन के कारण भी ऐसा होता है। 35 वर्ष की उम्र के बाद हड्डियों में कैल्शियम व खनिज पदार्थों की कमी होने लगती है। ज्यादा कमी होने पर हड्डियाँ टूट सकती हैं।
* विटामिन डी सूर्य द्वारा लगातार लेते रहना चाहिए। विभिन्न प्रकार के प्रोटीन से युक्त भोजन करें।
* नियमित व्यायाम हड्डियों को मजबूत करता है और अतिरिक्त कैल्शियम की मात्रा बाहर निकल जाती है।
* धूम्रपान से बचें, माताएँ बच्चों को भरपूर स्तनपान कराएँ। भोजन में चना, दूध, मक्खन, राजमा, सोयाबीन के उत्पाद, संतरा, खजूर, दही और नारियल लें। |
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