डायटिंग करें सही तरीके से |
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पेट भरने का अहसास या संतुष्टि मस्तिष्क में उपस्थित विशेष संवेदी केंद्रों के जागृत होने से मिलती है। भोजन प्रारंभ करने से इन केंद्रों के जागृत होने तक 20 मिनट का समय लगता है, अतः भोजन की मात्रा भले ही कम हो उसे खत्म करने में 20 मिनट लगाएँ।
छरहरा दिखने की चाह के चलते, डायटिंग एक फैशन बन गया है। अब लोगों में भोजन के अवयवों जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स, एंटी ऑक्सीडेंट्स तथा विटामिन्स को सही मात्रा में ग्रहण करने की जागरूकता भी बढ़ी है। डायटिंग का एक वैज्ञानिक तरीका है, जो थोड़े से प्रयास के द्वारा सीखा जा सकता है।
यह करें
* ताजे बने सूप (टमाटर, दाल, पालक, मिक्स वेज आदि) का सेवन करें। * अल्पाहार के लिए हरी सब्जियों का सलाद तथा ताजे फलों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में ही लें। * मध्यान्ह भोजन और रात्रि का भोजन हल्का लें। * शकर, कार्बोहाइड्रेट्स व सोडियम, नमकयुक्त भोजनकम मात्रा में लें। * भोजन के बाद लिया जाने वाला मीठा, एक गुड़ के छोटे टुकड़े तक सीमित करें। * वजन कम करने की सीमा 1/2 किग्रा प्रति सप्ताह से अधिक न हो। * दिनभर में अल्पाहार एकाधिक बार ले सकते हैं, जिससे मोटापे को नियंत्रित करने में मदद मिलती है तथा शरीर की मेटाबोलिज्म क्रिया तेज हो जाती है।
भोजन में फल व साग-सब्जी हों
* पीला : पपीता, आम, अनानास, बेल, आँवला, नाशपाती।
* लाल : चुकंदर, आलू बुखारा, अनार, तरबूज, स्ट्राबेरी, गाजर।
* हरा : पालक, अमरूद, मेथी, करेला, तोरई, लौकी।
* सफेद : शलजम, सेवफल, केला, नाशपाती, लीची, मूली, सीताफल, नारियल।
गर्म पानी के सेवन से मेटाबोलिज्म तेज होता है और वजन पर नियंत्रण रहता है। गर्म, गुनगुने जल का प्रातःकालीन सेवन कब्ज को भी दूर करता है। सप्ताह में छः दिन का संयमित एवं नियंत्रित भोजन रविवार को आपके मनचाहे व्यंजन की, संयमित मात्रा आपको संतुष्टि प्रदान करने में सहायक हो सकती है। त्यौहारों के मौसम में मिठाई, नमकीन का प्रयोग बढ़ता है, इस पर काबू रखें।
भोजन नियंत्रण के अतिरिक्त व्यायाम की एक नियमित दिनचर्या बनाएँ, जो शरीर के मेटाबोलिज्म को तेज कर फैट को जलाने में सहायक होती है।अच्छी वसा के प्रचुर स्रोत हैं। पिस्ता, अखरोट, काजू, बादाम, कॉड मछली, टूना मछली, अलसी, जैतून का तेल व रेपसीड, इनका सेवन लाभदायक है।
* रेशेदार फल, सब्जी का सेवन बढ़ाएँ जो पेट भरने के साथ-साथ आँतों की गति के लिए आवश्यक है। यह कब्ज से भी मुक्ति दिलाता है। * प्रचुर मात्रा में पानी/तरल लें। नारियल पानी जैसे द्रव पोटेशिटम तत्व की शरीर में भरपाई करते हैं। * भोजन धीरे-धीरे करें, क्योंकि मस्तिष्क में उपस्थित संतुष्टि केंद्र तक भोजन ग्रहण संदेश जाने में 20-30 मिनट लगते हैं। * आप यदि कम मात्रा के भोजन को भी 20 मिनट में लेते हैं तो उससे आपको पूर्ण संतोष व तृप्ति मिल सकती है। * भोजन अच्छी तरह से चबाकर लेना चाहिए।
यह न करें
* सूप में शकर न मिलाएँ। *राशि 8.30 बजे के बाद मीठा कतई न लें। * उपवास या व्यस्तता के चलते एक भी समय के भोजन को मुल्तवी न करें। * स्नैक्स में नमकीन व तले हुए चिप्स आदि न लें। * फ्राइड, सामिष स्नैक्स से बचें। *मदिरा सेवन से बचें। *प्रिजरवेटिव वाले तैयार (रेडी टूइट) खाद्य पदार्थ न लें। * तैयार फ्रूट-पल्प, शकर से भरपूर होते हैं, इन्हें लेने से बचें। बिस्किट, चॉकलेट, केक, पुडिंग या स्नेक्स भोजन के विकल्प के तौर पर न लें। *शीतल पेय, बर्फ डले पेय या बर्फ का सेवन न करें जो शरीर के मेटाबोलिज्म को धीमा करते हैं। * भोजन के साथ सेव, नमकीन खाने की आदत न डालें।
याद रखें
* पेट के आसपास जमा वसा मधुमेह जैसी लाइलाज रोगों का कारण बन सकती है। * सिर्फ डाइटिंग के द्वारा ही वजन कम नहीं किया जा सकता, एरोबिक व्यायाम का भी उतना ही महत्व है, जो वजन कम करने के साथ-साथ आपकी ऊँचाई के अनुसार स्टैंडर्ड वजन को बनाए रखने में भी सहायक होता है। * वजन कम 'करना' आसान है जबकि वजन कम 'रखना' कठिन एवं श्रम साध्य तथा लगातार की जाने वाली प्रक्रिया है। * छोटी दूरी के लिए वाहन का प्रयोग न करते हुए पैदल चलें। * लिफ्ट का प्रयोग न करें और सीढ़ियाँ ही चढ़ें, उतरें
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