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  चक्‍कर दूर होता है योग से
चक्‍कर दूर होता है योग से
 
 
 
 
 
 


     
चक्कर कभी भी और कहीं भी आ सकते हैं- स्नान करते समय, वाहन चलाते, चढ़ाव चढ़ते-उतरते वक्त चक्कर आने से गिरते समय हड्डी टूटने, सिर फटने और बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। यह अवस्था गंभीर होती है, अतः चक्कर का निदान करना अत्यधिक आवश्यक है।

चक्कर आना सामान्य बात है। कम आयु से लेकर बड़ी आयु के व्यक्तियों में चक्कर की समस्या आम बात है, परंतु चक्कर पर ध्यान देना आवश्यक है। चक्कर कभी भी और कहीं भी आ सकते हैं- स्नान करते समय, वाहन चलाते, चढ़ाव चढ़ते-उतरते वक्त चक्कर आने से गिरते समय हड्डी टूटने, सिर फटने और बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। यह अवस्था गंभीर होती है, अतः चक्कर का निदान करना अत्यधिक आवश्यक है।

चक्कर आने के कारण होते हैं, मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम होना तथा गाँठ (ट्यूमर) होना, गर्दन या सिर दर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस, मस्तिष्क के एक भाग में रक्त संचार कम होना, गर्दन पर कसकर कॉलर या टाई बाँधना, ऊँचे तकियों पर सोना, एक ही करवट लेकर रोज सोने की आदत, देर रात्रि तक लेटकर टीवी देखना, उच्च या निम्न रक्तचाप, पेट में कोल्हाईटिस, बार-बार पतले दस्त होना, की-बोर्ड और कम्प्यूटर पर लगातार काम करना, गर्दन झुकाकर ड्राइंग, पेंटिंग, कढ़ाई आदि कार्य करना, उपवास या प्रवास अधिक करना, भोजन समय पर न लेना जैसे अनेक कारणों से चक्कर आते हैं। इसके अतिरिक्त कान में मवाद या सूजन, बार-बार सर्दी-जुकाम होना भी चक्कर का कारण बनता है। तंबाकू, सिगरेट, शराब का अधिक मात्रा में सेवन भी चक्कर के लिए कारण बनता है। नाक और कान समेत सिर की संवेदनशीलता बढ़ने से पहाड़ों से वाहन पर सवार होकर घुमावदार रास्ते से उतरने पर चक्कर आते हैं और उल्टियाँ होती हैं। देर तक, तेज धूप में बिना सिर ढाँके घूमने से, झूले पर झूलने से भी चक्कर आते हैं। नींद न आना भी चक्कर का एक कारण होता है।

उपरोक्त किसी भी कारणों से चक्कर यदि आते हैं (ब्रेन ट्यूमर छोड़कर) तो इसके लिए निम्न योगाभ्यासों का प्रयोग करें, चक्कर रफूचक्कर हो जाएँगे-

* ब्रह्ममुद्रा : कमर व गर्दन सीधी रखकर कुर्सी पर या जमीन पर बैठें। जमीन पर बैठते हैं तो वज्रासन या पद्मासन का उपयोग करें। हाथ
घुटनों पर रखें, कंधे ढीलें रखें और धीरे-धीरे गर्दन ऊपर और थोड़ा नीचे लाने का प्रयत्न करें। 10 बार इसे दोहराएँ। उसी प्रकार गर्दन को दाएँ-बाएँ घुमाएँ जिससे ठोड़ी कंधे की सीध में आ सके। इसे धीरे-धीरे 10 बार करें। इसके उपरांत गर्दन दाएँ-बाएँ इस प्रकार झुकाएँ कि कान कंधे से लगे, 10 बार इसे करें और अंत में गर्दन को चारों दिशाओं को देखते हुए धीरे-धीरे घुमाएँ। 10 बार सीधे और 10बार उल्टे। इस दरम्‍ियान चक्कर आते हैं तो थोड़ा रुक जाएँ। फिर इस क्रिया को दोहराएँ। 3-4 दिन सुबह-शाम के अभ्यास से चक्कर कम होने लगते हैं।

* कंधों का संचालन : कमर सीधी रखकर, कंधों पर हाथ रखकर कोहनियों को गोल घुमाएँ। हाथों की भुजाएँ कान से लगाते हुए 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ।

* शशकासन : वज्रासन में बैठकर सामने झुकें और हाथों को लंबा करें। 10-15 श्वास-प्रश्वास होने तक इस स्थिति में रुकें। दो-तीन बार दोहराना अच्छा लाभप्रद है।

* मार्जरासन : हाथ और घुटनों के सहारे जमीन पर चौपाए की तरह हो जाएँ। घुटनों को मिलाकर रखें। हाथों में डेढ़ फुट का अंतर, घुटने और हाथों में 2 फुट का अंतर रखकर कमर को जमीन के समानांतर रखें। गर्दन ऊपर उठाएँ और कमर को ढीला छोड़ें, फिर गर्दन नीचे करें और कमर-पेट ऊपर उठाएँ, जैसे बिल्ली करती है। इस क्रिया को 10 बार दोहराएँ।

उपरोक्त सभी प्रयोग सुबह-शाम करने पर चक्कर रफूचक्कर हो जाते हैं।
 
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