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प्रश्न : मेरे स्तन बहुत छोटे हैं, सहेलियाँ मजाक उड़ाती हैं, इन्हें सामान्य अवस्था में लाने का उपाय बताएँ ?
उत्तर : आप गम्भारी की छाल 50 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब महीन बारीक चूर्ण कर लें। इसे जैतून के तेल में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे सुबह नहाने से पहले स्तनों पर लगाकर मालिश करें। रात को सोते समय लेप कर मालिश करें और सुबह स्नान करते समय धो लें। यदि शरीर दुबला पतला हो तो पौष्टिक आहार लें। 3-4 माह में स्तनों का आकार सुडौल और पुष्ट हो जाएगा।
प्रश्न : विवाह को छह वर्ष हो गए हैं, अभी तक पत्नी गर्भवती नहीं हो सकी है। हम दोनों यौन विषय में बहुत ज्यादा संतुष्ट हैं, हमने जाँच करवाई तो मेरी जाँच रिपोर्ट में यह दोष पाया गया कि वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम है और उनकी जीवनी शक्ति का प्रतिशत भी कम है। कोई इलाज बताएँ ?
उत्तर : आप यह प्रयोग करें- वीर्यशोधन वटी, दिव्य रसायन वटी, एडीजुआ और पुष्पधन्वा रस। चारों 1-1 गोली सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लें। इसके साथ दो दवाएँ होम्ियोपैथी की भी लेनी हैं। सप्ताह में एक दिन कोनियम 200 की 6-7 गोली मुंह में डालकर चूस लें। सिर्फ एक ही बार लें। सप्ताह के शेष छह दिन तक डेमियाना टरनेरा मदद टिंचर की 10-15 बूंद आधा कप पानी में डालकर सुबह-शाम पिएँ। जिस दिन कोनियम 200 लें उस दिन डोमियाना न लें, बाकी के छह दिनों में ही लें। होम्योपैथिक दवा लेने में परहेज यह है कि दवा लेने से आधा घंटा पहले और दवा लेने के आधा घंटा बाद तक के एक घंटे के समय में कुछ भी खाएँ-पिएँ नहीं। यह दोनों प्रकार के इलाज कम से कम छह माह तक लें और फिर अपने वीर्य की पैथोलॉजिकल जाँच करा लें।
प्रश्न : ऋतुकाल का आरंभ ऋतु स्राव बंद होने पर मानें या जिस दिन से ऋतु स्राव शुरू हो उस दिन से ?
उत्तर : ऋतुकाल तो पहले दिन से ही माना जाता है, जो कि 16 दिन का होता है, लेकिन गर्भाधान और सहवास के लिए सातवीं रात्रि से लेकर ऋतुकाल के अंतिम सोलहवें दिन तक की कुल 13 रात्रियाँ सेवन योग्य होती हैं। 16वीं रात्रि को गर्भाशय का मुँह बंद होने की संभावना भी रहती है, इसलिए 16वीं रात्रि को उपयोग में लेने का निर्देश नहीं दिया जाता, वरना यह रात्रि भी पुत्र प्राप्ति के लिए उपयोगी मानी गई है। गर्भाधान करने के लिए रात्रियों की गणना करने के लिए पहली रात उसी को गिनना चाहिए जिस दिन ऋतु स्राव शुरू हुआ हContent of the new page |
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